खेलन कैं मिस कुँवरि राधिका -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग आसावरी
राधिका जी का यशोदा-गृहागमन


खेलन कै मिस कुँवरि राधिका, नंद-महरि कै आई (हो)।
सकुच सहित मधुरे करि बोली, घर हौ कुँवर कन्हाई (हो)।।
सुनत स्याम कोकिल सम बानी, निकसे अति अतुराई (हो)।
माता सौं कछु करत कलह हे, रिस डारी बिसराई (हो)।।
मैया री तू इनकौं चीन्हति, बारंबार बताइ (हो)।
जमुना-तीर काल्हि मैं भूल्यौ, बाहँ पकरि लै आई (हो)।।
आवति इहाँ तोहिं सकुचति है, मैं दै सौंह बुलाई (हो)।
सूर स्याम ऐसे गुन-आगर, नागरि बहुत रिझाई (हो)।।700।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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