ब्रह्मा रिषि मरीचि निर्मायौ। रिषि मरीचि कस्यप उपजायौ।
सुर अरु असुर कस्यप के पुत्र। भ्रात विमात आपु मैं सत्रु।
सुर हरि-भक्त, असुर हरि-द्रोही। सुर अति क्षमी, असुर अति कोही।
उनमैं नित उठि होइ लराई। करैं सुरनि की कृष्न सहाई।
तिन हिंत जो-जो किए अवतार। कहौं सूर भागवतऽनुसार।।9।।