ब्रह्मा रिषि मरीचि निर्मायौ -सूरदास

सूरसागर

तृतीय स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल
सुर-असुर-उत्पत्ति



ब्रह्मा रिषि मरीचि निर्मायौ। रिषि मरीचि कस्यप उपजायौ।
सुर अरु असुर कस्यप के पुत्र। भ्रात विमात आपु मैं सत्रु।
सुर हरि-भक्त, असुर हरि-द्रोही। सुर अति क्षमी, असुर अति कोही।
उनमैं नित उठि होइ लराई। करैं सुरनि की कृष्न सहाई।
तिन हिंत जो-जो किए अवतार। कहौं सूर भागवतऽनुसार।।9।।


Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः