मुक सौं कह्यौ परीच्छित राइ -सूरदास

सूरसागर

षष्ठ स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल
परिक्षित-प्रश्न


मुक सौं कहयौ परीच्छित राइ। भरत गयौ बन, राज बिहाइ।
तहाँ जाइ मृग सौं चित लायौ। तातैं मरि फिरि मृग तन पायौ।
जिनकौं पाप करत दिन जाइ। ते तौ परैं नरक मैं धाइ।
सो छूटै किहिं विधि रिषिराइ। सूर कहौ मोसौं समुझाइ।।2।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः