स्यामा स्याम कै उर बसी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गूजरी
मानलीला और दंपति-बिहार


स्यामा स्याम कै उर बसी।
रैनि नृत्यत रिझै पियमन, तड़ित तै छवि लसी।।
स्याम ता रस मगन डोलत, सब तियनि मै जसी।
कोक-कला-प्रवीन सुंदरि, कल गुन करि कसी।।
करति सदन सिंगार बैठी, अंग-अंग-प्रति रसी।
'सूर' प्रभु आए अचानक, देखि तिनकौ हसी।।2411।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः