ब्‍यासदेव जब सुकहिं पढ़ायौ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल
श्रीभागवत के वक्‍ता-श्रोता



ब्‍यासदेव जब सुकहिं पढ़ायौ। सुनि कै सुक सो हृदय बसायौ।
सुक सौं नृपति परीक्षित सुन्‍यौ। तिनि पुनि भली-भाँति करि गुन्‍यौ।
सूत सौनकनि सौं तुनि कह्यौ। बिदुर सो मैत्रेय सौं लह्यौ।
सुनि भागवत सबनि सुख पायौ। सूरदास सो बरनि सुनायौ।।227।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः