अब जानी पिय बात तुम्हारी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग टोड़ी


अब जानी पिय बात तुम्हारी।
मोसौ तुम सुख ही की मिलवत, भावति है वह प्यारी।।
राखे रहत हृदय पर जाकौ, धन्य भाग है ताके।
ऐसी कहूँ लखी नहि अब लौ, बस्य भए हौ जाके।।
भली करी यह बात जनाई, प्रगट दिखाई मोहि।
'सूर' स्याम यह प्रान पियारी, उर मै राखी पोहि।।2413।।

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