भली करी पूजा तुम मेरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग


भली करी पूजा तुम मेरी।
बहुत भाव करि भोजन अरप्यौ, मानि लई मैं तेरी।।
सहज भुजा धरि भोजन कीन्हौं, तुम देखत बिदिमान।
मोहिं जानत है कुँवर कन्हैया, और नहीं कोउ आन।।
पूजा सब की मान लई मैं, जाहु घरनि ब्रज-लोग।
सूर स्याम अपनै कर लीन्हे, बाँटत जूठन-भोग।।844।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः