बिनती करत नंद कर जोरैं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावाल


बिनती करत नंद कर जोरैं, पूजा कह हम जानै नाथ।
हम हैं जीव सदा माया बस, दरस दियौ मोहिं कियौ सनाथ।।
महा पतित मैं, तुम पावन प्रभु, सरन तुम्हारी आयौ तात।
तुमतैं देव और नहिं दूजौ, कोटि ब्रह्मांड रोम प्रति गात।।
तुम दाता, अरु तुमहिं भोगता हरता करता तुमहीं सार।
सूर कहा हम भोग लगायौ, तुमहीं भुलै दियौ संसार।।845।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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