जान्यौ जान्यौ री सयन तेरो प्रानेस्वर सौ तै कियौ मान भयौ है विहान।
पिय को तेरोई ध्यान मेरी सिख सुनि कान जामैं बसै प्रान तासौ केसौ धौ गुमान।।
सुनि री मुरलीगान आछी नीकी मीठी तान संकेतसुथल रच्यौ कुसुम बितान।
'सूरदास' प्रभु सब-जान-सिरोमनि मान मदन मोहन तेरे सुख कौ निधान।। 78 ।।