हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 98 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 98 श्लोक 6-10

Prev.png

 


यत्किंचित् त्रिषु लोकेषु रत्नरभूतं प्रपश्यसि।
तेन संयुज्यतां क्षिप्रं पुरी द्वारवती त्वया।।6।।

कृष्णो हि सुरकार्येषु सर्वेषु सततोत्थित:।
संग्रामान् घोररुपांश्च विगाहति महाबल:।।7।।

तामिन्द्रवचनाद् गत्वां विश्वकर्मा पुरीं तत:।
अलंचक्रे समन्ताद् वै यथेन्द्रस्यामरावती।।8।।

तां ददर्श दशार्हाणामीश्वर: पक्षिवाहन:।
विश्वदकर्मकृतैर्दिव्यैरभिप्रायैरलंकृताम्।।9।।

तां तदा द्वारकां दृष्ट्वा प्रभुर्नारायणो विभु:।
हृष्टद: सर्वार्थसम्पन्न: प्रवेष्टुदमुपचक्रमे।।10।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः