हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 98 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 98 श्लोक 11-15

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सोऽपश्यद् वृक्षखण्डांश्व रम्याैन् दृष्टिमनोहरान्।
द्वारकां प्रति दाशार्हश्चित्रितां विश्वकर्मणा।।11।।

पद्मखण्डापकुलाभिश्च हंससेवितवारिभि:।
गंगासिन्धु प्रकाशाभि: परिखाभिर्वृतां पुरीम्।।12।।

प्राकारेणार्कवर्णेन शातकौम्भेन राजता।
चयमूर्घ्नि निविष्टेन द्यां यथैवाभ्रमालया।।13।।

काननैर्ननछनप्रख्यैेस्तथा चैत्ररथोपमै:।
बभौ चारुपरिक्षिप्ता द्वारका द्यौरिवाम्बुदै:।।14।।

बभौ रैवतक: शैलो रम्यवसानुगुहाजिर:।
पूर्वस्यां दिशि लक्ष्मी‍वान् मणिकांचनतोरण:।।15।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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