हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 80 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 80 श्लोक 11-15

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सततं स्त्री् द्वितीयायां भ्रुवोरिच्छेोत्सुरूपताम्।।11।।
अनन्तसरोपवासेन शाकभक्ताशना सती।

तत: संवत्सरे पूर्णे ब्राह्मणं स्वस्ति वाचयेत्।।12।।

फलै: परिणतै: सौम्यैर्माषाणां दक्षिणान्वितै:।
लवणेन च भद्रं ते घृतपात्रेण चानघे।।13।।

आत्मन: शोभनौ कर्णाविच्छ‍ती स्त्री सुमध्यमा।
नक्षत्रे श्रवणे प्राप्ते ध्रुवं भुंजीत यावकम्।।14।।

तत: संवत्सतरे पूर्णे कर्णौ दद्याद्धिरण्मयौ।
घृते प्रक्षिप्य विप्राय पयसा सहिते शुभे।।15।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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