हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 42 श्लोक 81-87

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 42 श्लोक 81-87

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अवप्लुते ततो रामे कृष्ण्: कृष्णाम्बुदोपम:।
गोमन्तशिखराच्छ्री मानाप्लुतोऽमितविक्रम:।।81।।

ततस्तं पीडयामास पद्भ्यां गिरिवरं हरि:।
स पीडितो गिरिस्तेन निर्ममज्ज समन्तत:।।82।।

जलाकुलोपलस्तत्र प्रस्त्रुतो द्विरदो यथा।
स तेन वारिणा वह्निस्तत्क्षणात्‍प्रशमं ययौ।।83।।

कल्पान्ते वारिधाराभिर्मेघजालैरिवांशुमान्।
सिंहारसितनिर्घोष: पीतवासा घनाकृति:।।84।।

किरीटमूर्द्धा सौम्यास्य: पुण्डरीकनिभेक्षण:।
श्रीवत्सवक्षा: सुमुख: सहस्राक्षसमद्युति:।।85।।

रामादनन्तरं कृष्ण: प्लुतो वै वीर्यवांस्तत:।
ताभ्यामेव प्लुषभ्यां च चरणै: पीडितो गिरि:।।86।।

मुमोच सलिलोत्पीेडांस्तीाव्रपावकशान्तये।
सलिलोत्पीडनं दृष्ट्वां पार्थिवा भयमाविशन्।।87।।
 
इति श्रीमहाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्णुापर्वणि गोमन्तदाहे द्विचत्वारिंशोऽध्याय:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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