हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 42 श्लोक 76-80

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 42 श्लोक 76-80

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तदस्या नृण्यडहेतोर्हि नगस्य नगसंनिभ।
क्षत्रियान्निहनिष्यामो दोर्भ्यामेव युधां वर।।76।।

एते ते क्षत्रिया: सर्वे गिरिमादीप्यस दंशिता:।
रथिनस्तात दृश्यान्ते यथादेशं युयुत्सव:।।77।।

एवमुक्वा गिरे: श्रृंगान्मेरुश्रृंगादिवोडुराट्।
निपपात बल: श्रीमान् वनमालाधरो युवा।।78।।

कादम्बरीमदक्षीबो नीलवासा: सितानन:।
स शारदेन्दुसंकाशो वनमालाञ्चितोदर:।।79।।

कान्तैककुण्डकलधरश्चादरुमौलिरवाङ्मुख:।
निपपात नरेन्द्राणां मध्ये् केशवपूर्वज:।।80।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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