हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 36 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 36 श्लोक 21-25

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न स्म कम्पयते रामं जरासंधकरच्युता।
गदा गदाभृतां श्रेष्ठं विन्यंसंध गिरिमिवानिल:।।21।।

रामस्य तु गदावेगं वीर्यात स मगधेश्वर:।
सेहे धैर्येण महता शिक्षया च व्यवपोहयत्।।22।।

एवं तौ तत्र संग्रामे विचरन्तौ् महाबलौ।
मण्डतलानि विचित्राणि विचेरतुररिंदमौ।।23।।

व्यातच्छन्तौ चिरंकालं परिश्रान्तौ च तस्थतु:।
समाश्वस्य् मुहूर्तं तु पुनरन्योन्यमाहताम्।।24।।

एवं तौ योधमुख्यौ तु समं युयुधतुश्चिरम्।
न च तौ युद्धवैमुख्यिमुभावेव प्रजग्मितु:।।25।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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