हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 29 श्लोक 36-40
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कृष्णजर्जरितांगस्य कुंजरस्यार्तचेतस:।
कटाभ्यामति सुस्त्राव वेगवद् भूरि शोणितम्।।36।।
लांगूलं चास्य वेगेन निश्चकर्ष हलायुध:।
शैलपृष्ठार्धसंलीनं वैनतेय इवोरगम्।।37।।
तेनैव गजदन्तेन कृष्णो हत्वा तु दन्तिनम्।
जघानैकप्रहारेण गजारोहणमुल्बणम्।।38।।
सोऽऽर्तनादं महत् कृत्वा विदन्तो दन्तिनां वर:।
पपात समहामात्रो वज्रभिन्न इवाचल:।।39।।
ततस्तौ तोरणांगानि प्रगृह्य रणकर्कशौ।
गजस्य पादरक्षांश्च जघ्नतु: पुरुषर्षभौ।।40।।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==ऽ
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