हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 121 श्लोक 106-110

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 121 श्लोक 106-110

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त्वुत्प्रनसादाद् भवत्ये‍षा पुत्रेण सह भामिनी।
अमृतं तु हृतं पूर्वं त्वपया पन्न‍गनाशन।।106।।

मया सह समागम्यप तस्मिन् काले महाभुज।
अभवन्मेस ध्ववजश्चैाव त्वाद्भक्ता: सर्ववृष्ण य:।
सखित्वंस मानयस्वासद्य भक्तिं च पतगेश्वहर।।107।।

वत वेगसमो नास्ति पक्षिणो न च ते समा:।
सुपर्ण सुकृतेन त्वां शपे पन्नसगनाशन।।108।।

दासीभावं गता माता मोक्षितैका‍किना पुरा।
पक्षविक्षेपमात्रेण हता योधास्व् या पुरा।।109।।

भवान् सुरगणान् सर्वान् पृष्ठमारोप्यव विक्रमात्।
गच्छव मे ह्यगमान् देशान् विजयश्च् तवाश्रयात्।।110।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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