हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 11 श्लोक 26-30

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 11 श्लोक 26-30

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अन्‍ये स्‍म परिगायन्ति गोपा मुदितमानसा:।
गोपाला: कृष्‍णमेवान्‍ये गायन्ति स्‍म रतिप्रिया:।।26।।

तेषां स गायतामेव वादयामास वीर्यवान्।
पर्णवाद्यान्‍तरे वेणुं तुम्‍बीं वीणां च तत्र ह।।27।।

कदाचिच्‍चारयन्‍नेव गा: स गोवृषभेक्षण:।
जगाम यमुनातीरं लतालंकृतपादपम्।।28।।

तरंगापांगकुटिलां वारिस्‍पर्शसुखानिलाम्।
तां च पद्मोत्‍पलवतीं ददर्श यमुनां नदीम्।।29।।

सुतीर्थां स्‍वादुसलिलां ह्रदिनीं वेगामिनीम्।
तोयवातोद्यतैर्वेगैरवनामिपादपाम्।।30।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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