हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 41-45

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 41-45

Prev.png

 

अदर्शनेन मरणं तस्या नास्यत्र संशय:।
यदि नारीसहस्रं ते हृदिस्थं: यदुनन्दन।।41।।
स्त्रिया: कामयमानाया: कर्तव्या हस्तधारणा।

त्वं च तस्या वरोत्सर्गे दत्तो देव्या मनोरथ:।।42।।
चित्रपट्टं मया दत्तं त्वच्चिह्नं दृश्य जीवति।

सानुक्रोशो यदुश्रेष्ठ भव तस्या मनोरथे।।43।।
उषा ते पतते मूर्ध्ना वयं च यदुनन्दन।

श्रूयतां चोद्भवस्तस्या: कुलशीलं च यादृशम्।।44।।
संस्थानं प्रकृतिं चास्या‍: पितरं च ब्रवीमि ते।

वैरोचनिसुतो वीरो बाणो नाम महासुर:।।45।।
स राजा शोणितपुरे तस्य त्वामिच्छते सुता।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः