हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 10 श्लोक 26-30

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 10 श्लोक 26-30

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पश्‍य कृष्‍ण जलोदग्रै: कृष्‍णैरुद्ग्रथितैर्घनै:।
गोवर्धनो यथा रम्‍यो भाति गोवर्धनो गिरि:।।26।।

पतितेनाम्‍भसा ह्येते समन्‍तान्‍मददर्पिता:।
भ्राजन्‍ते कृष्‍णसारंगा: काननेषु मुदान्विता:।।27।।

एतान्‍यम्‍बुप्रहृष्‍टानि हरितानि मृदूनि च।
तृणानि शतपताक्ष पत्रैर्गूहन्ति मेदिनीम्।।28।।

क्षरज्‍जलानां शैलानां वनानां जलदागमे।
ससस्‍यानां च सीमानां ने लक्ष्‍मीर्व्‍यतिरिच्‍यते।।29।।

शीघ्रवातसमुद्भूता: प्रोषितौत्‍सुक्‍यकारिण:।
दामोदरोद्दामरवा: प्रागल्‍भ्‍यं यान्ति तोयदा:।।30।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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