हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 104 श्लोक 46-50

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 104 श्लोक 46-50

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चक्रतोमरशूलानि पट्टिशानि परश्वदधान्।।46।।
गृहीत्वा निर्ययुर्हृष्टा मन्युना परमाप्लुता:।
आह्वंयस्तमामित्रं वै तस्थु: संग्राममूर्धनि।।47।।

प्रद्युम्नस्तु महाबाहू रथमारुह्य सत्त्वरम्।
निर्ययौ चापमादाय संग्रामाभिमुखस्तदा।।48।।

तत: प्रवृत्तं युद्धं तु तुमुलं लोमहर्षणम्।
शम्बरस्य् तु पुत्राणां केशवस्य च सूनुना।।49।।

ततो देवा: सगन्धर्वा: समहोरगचारणा:।
देवराजं पुरस्कृत्य विमानाग्रेषु धिष्ठिता:।।50।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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