हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 101 श्लोक 31-35

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 101 श्लोक 31-35

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राक्षसी निहता रौद्रा शकुनीवेषधारिणी।
पूतना नाम घोरा सा महाकाया महाबला।।31।।

विषदिग्धं स्तानं रौद्रं प्रयच्छन्ती जनार्दने।
ददृशुर्निहतां तां ते राक्षसीं वनगोचरा:।।32।।

पुनर्जातोऽयमित्याहुरुक्तस्तस्मादधोक्षज:।
अत्यद्भुतमिदं चासीद् यच्छिशु: पुरुषोत्‍तम:।।33।।
पादांगुष्ठेन शकटं क्रीडमानो व्यलोडयत्।

दाम्ना चोलूखले बद्धो विप्रकुर्वन् कुमारकम्।।34।।
बभंजार्जुनवृक्षौ द्वौ ख्यातो दामोदरस्तदा।

कालियश्च महानागो दुराधर्षो महाबल:।।35।।
क्रीडता वासुदेवेन निर्जितो यमुनाह्रदे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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