हरिवंश पुराण विष्णु पर्व अध्याय 59 श्लोक 54-67

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हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: एकोनषष्टितम अध्याय: श्लोक 54-67 का हिन्दी अनुवाद

उस समय रोष में भरे हुए वृष्णि वंश के महारथी वीरों ने जैसे देवता इन्द्र को आगे रखते हैं, उसी प्रकार बलराम जी को आगे करके उन समस्त शत्रुओं को आगे बढ़ने से रोक दिया। उस महासमर में वेग से आगे बढ़ते हुए महाबली जरासंध को सात्यकि ने छः नाराचों से मारकर घायल कर दिया। अक्रूर ने दन्तवक्त्र को नौ बाणों से वेध दिया, तब करूषराज दन्तवक्त्र ने दस शीघ्रगामी बाणों द्वारा अक्रूर को भी बींधकर बदला चुकाया। विपृथु ने सात बाणों से शिशुपाल को घायल कर दिया, तब प्रतापी शिशुपाल ने आठ बाणों से विपृथु को क्षत-विक्षत कर दिया।

तब गवेषण ने छः, अतिदान्त ने आठ और बृहद्दुर्ग ने पाँच बाणों से चेदिराज शिशुपाल को गहरी चोट पहुँचायी। शिशुपाल ने भी उन सबको पाँच-पाँच बाण मारकर बदला चुकाया और चार बाणों से विपृथु के चारों घोड़ों को मार डाला। इतना ही नहीं, शत्रुसूदन शिशुपाल ने एक भल्ल से बृहद्दुर्ग का सिर काट लिया और गवेषण के सारथि को यमलोक पहुँचा दिया। तब महाबली एवं पराक्रमी विपृथु अपने अश्वहीन रथ को त्यागकर शीघ्र ही बृहद्दुर्ग के रथ पर जा चढ़े। विपृथु का सारथि भी तुरंत ही गवेषण के रथ पर जा बैठा और उसके वेगशाली घोड़ों को काबू में रखने की चेष्टा करने लगा। फिर तो वे कुपित हो धनुष और बाण हाथ में लेकर रथमार्गों पर नृत्य-सा करते हुए सुनीथपुत्र शिशुपाल पर बाणों की बौछार करने लगे।

चक्रदेव ने पंख वाले बाण से मारकर दन्तवक्त्र की छाती छेद डाली। फिर पाँच बाणों द्वारा उन्होंने युद्ध में षड्रथ को भी घायल कर दिया। तब उन दोनों ने भी पैनी धार वाले दस मर्मभेदी बाणों द्वारा चक्रदेव को गहरी चोट पहुँचायी। फिर शिशुपाल के भाई बली ने भी चक्रदेव को दस बाण मारे। तत्पश्चात उसने दूर से ही पाँच बाण मारकर विदूरथ को भी घायल कर दिया। विदूरथ ने भी छः पैने बाण मारकर युद्ध में बली को आहत कर दिया। तब बली ने महाबली विदूरथ को बदले में तीस बाण मारे। दूसरी ओर कृतवर्मा ने युद्ध में पौण्ड्रक वासुदेव के पुत्र को तीन बाणों से घायल कर दिया। साथ ही उसके सारथि को भी मार डाला और ऊँचे ध्वज को काट गिराया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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