हरि बिनु जान लगे दिन ही दिन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


हरि बिनु जान लगे दिन ही दिन। कैसै कै राखै प्रान कान्ह बिन।।
करत सु जतन कहा छिन ही छिन। सिंह जीभ कैसै घरै हरे तृन।।
जौ पै नहि मानत जु बचन रिन। तौ का कहियै ‘सूर’ स्याम सिन।।4028।।

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