स्याम चले पछिताइ कै, अति कीन्हो मान।
व्याकुल रिस तन देखि कै, सब गयौ सयान।
बैठे सीस नवाइ कै, बिनु धीरज प्रान।
दूती तुरत बुलाइ कै, पठई दै आन।।
बिरहा के बस हरि परे, तिय कियौ अनुमान।
धीर धरौ मै जाति हौं, करियै कछु ज्ञान।।
सावधान करिकै गई, दूतिका सुजान।
'सूर' महा वह मानिनी, मानौ पाषान।।2820।।