स्यामा स्याम सौ आजु बृंदाबन -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग होरी




स्यामा स्याम सौ आजु बृंदाबन खेलति फाग नई।।
नंदनँदन कौ राधे कीन्हौ माधव आपु भई।।
सखा सखी ह्वै सखी सखा ह्वै जुरि नँदभवन ग़ई।
उलटे रूप देखि जसुमति की गति मति भूलि गई।।
गोरे स्याम साँवरी स्यामा दोउ मूरति चितई।
‘सूर’ स्याम कौ बदन बिलोकत उघरि गई कलई।। 127 ।।

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