स्यामा स्याम सुभग जमुना-जल निभ्रम करत बिहार।
पीत कमल इंदीबर पर मनु भोर भऐं नीहार।।
श्रीराधा अंबुज कर भरि-भरि, छिरकति बारंबार।
कनक-लता मकरंद भरत मनु, हालत पवन संचार।।
अतिसी-कुसुम-कलेवर बूंदैं प्रतिबिंबित निरधार।
जोतिसचक्र गगन सौं डोलत, सखि सब करतिं बिचार।।
धाइ धरे वृषभानु-सुता हरि, मोहे सकल सिंगार।
तड़ित जलद सूरज मानौ मिलि, वरषत अमृत धार।।1159।।