सुत-मुख देखि जसोदा फूली -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री



सुत-मुख देखि जसोदा फूली।
हरषित देखि दुध को दँतियाँ, प्रेममगन तन की सुधि भूली।
बाहिर तैं तब नंद बुलाए, देखौ धौं सुंदर सुखदाई।
तनक तनक सों दूध-दँतुलिया, देखौ नैन सफल करो आई।
आनँद सहित महर तब आए, मुख चितवत दोउ नैन अघाई।
सूर स्याम किलकत द्विज देख्यौ, मनौ कमल पर बिज्जु जमाई।।82।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः