सिखवति चलन जसोदा मैया -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल



सिखवति चलन जसोदा मैया।
अरबराइ कर पानि गहावत, डगमगाइ धरनी धरे पैया।
कबहुँक सुंहर बदन बिलोकति, उर आनँद भरि लेति बलैया।
कबहुँक कुल-देवता मनावति, चिरजीवहु मेरौ कुँवर कन्हैया।
कबहुँक बल कौं बुलावति, इहिं आंगन खेलौ दोउ भैया।
सूरदास स्वामी की लीला, अति प्रताप बिलसत नँदरैया।।115।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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