वृंदावन देख्यौ नँद-नंदन, अतिहिं परम सुख पायौ।
जहँ-जहँ गाइ चरति, ग्वालनि सँग, तहँ-तहँ आपुन धायौ।
बलदाऊ मोकौं जनि छाँड़ौ, सँग तुम्हारै ऐहौं।
कैसेहुँ आजु जसोदा छाँड़यौ, काल्हि न आवन पैहौं।
सोवत मोकौं टेरि लेहुगे, बाबा नंद-दुहाई।
सूर स्याम विनती करि बल सौं, सखनि समेत सुनाई।।415।।