राधा प्रान गोवर्धनधारी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कान्हरौ


राधा प्रान गोवर्धनधारी।
कनक लता अरु चंपकली तनु हरिहिं प्रानधन राधा प्यारी।।
मरकत मनि नंदलाल लाडिलौ, कंचन तनु वृषभानुदुलारी।
'सूर' स्याम प्रिय प्रीति परस्पर, जोरी जुगल बनी बनबारी।।2186।।

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