याहू मैं कछु बाट तिहारौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग जैतश्री


याहू मैं कछु बाट तिहारौ।
अचिरज आइ सुनौ री, भूषन देखि न सकत हमारौ।।
कहौ गढ़ाइ दिये ते आपुन, कै जसुमति, कै नंद।
घाट धरयौ तुम यहै जानि कै, करत ठग‍नि के छंद।।
जितनौ पहिरि आजु हम आई घर है यातैं दूनौ।
सूर स्‍याम हौ बहुत लुभाने, बन देख्‍यौ धौं सूनौ।।1541।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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