बाँट कहा अब सबै हमारौ।
जब लौं दान नहीं हम पायौ, तब लौं कैसैं होत तिहारौ।।
आभूषन की कौन चलावत, कंचन-घट काहैं न उघारौ।
मदन-दूत मोहि बात सुनाई, इनमैं भरयौ कहा रस भारौ।।
एक ओर अंग-आभूषन सब, एक ओर यह दान बिचारौ।
सुनहु सूर कह बाँट करैं हम, दान देहु पुनि जहाँं सिधारौ।।1542।।