मैं बलि जाउँ स्याम-मुख-छबि पर।
बलि-बलि जाउ कुटिल कच बिथुरे, बलि भृकुटी लिलाट पर।।
बलि-बलि जाउँ चारू अवलोकनि, बलि बलि कुंडल-रबि की।।
बलि-बलि जाउँ नासिका सुललित, बलिहारी वा छबि की।।
बलि-बलि जाउँ अरुन अधरनि की, बिद्रुम बिंव लजावन।
मैं बलि जाउँ दसन चमकनि की, वारौं तड़ितनि सावन।
मैं बलि जाउँ ललित ठोड़ी पर, बलि मोतिनि की माल।
सूर निरखि तन मन बलिहारौं, बलि बलि जसुमति-लाल।।664।।