मेरे लाल के प्रेम खिलौना -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग आसावरी


मरे लाल के प्रेम खिलौना, ऐसौ को लै जैहै री।
नैकु सुनत जो पैहौं, ताकौं सो कैसें ब्रज रैहै री।।
बिनु देखैं तू कहा करैगी, सो कैसें प्रगटैहैं री।
अजहुँ उठाइ राखि री मैया, माँगै तैं कह दैहै री।।
आवतहीं लै जैहै राधा, पुनि पाछैं पछतैहै री।
सूरदास तब कहति जसोदा, बहुरि स्याम बिरुझैहै री।।711।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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