माधौ महा मेघ घिरि आयौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


माधौ महा मेघ घिरि आयौ।
घर कौ गाइ बहोरौ मोहन, ग्वालनि टेरि सुनायौ।।
कारी घटा सुधूम देखियति, अति गति पवन चलायौ।
चारौं दिसा चितै किन देखहु, दामिनि कौंधा लायौ।
अति घनस्याम सुदेस सूर-प्रभु, कर गहि सैल उठायौ।
राखे सुखी सकल बजवासी, सुरपति गरब नवायौ।।868।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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