मधुकर कहा कियौ अब चाहत।
हम तौ भईं चित्र की पुतरी, सुन्न सरीरहिं दाहत।।
हमसौं तुमसौ बैर कहा अलि, स्याम अजान भुराहत।
झारि झूरि मत कन तौ लै गए, बहुरि पयारहिं गाहत।।
अब तौ है मारुत कौ गहिबौ, बहु स्रम करि का लैहौ।
‘सूरज’ जौ उन हमहिं हते तौ, अपनौ कीन्हौ पैहौ।।3609।।