मथुरा दिनदिन अथिक बिराजै।
तेज, प्रताप राइ केसौ कै, तीनि लोक पर गाजै।।
पग पग तीरथ कोटिक राजै, मधि विश्रांत बिराजै।
करि अस्नान प्रात जमुना कौ, जनम मरन भय भाजै।।
बिट्ठल बिपुल विनोद बिहारन, व्रज कौ वसिवौ छाजै।
'सूरदास' सेवक उनही कौ कृपा सु गिरिधर राजै।।3096।।