बोलत है तोहिं नंदकिसोर।
मान छाँड़ि सखि नैकु चितै री, पइयाँ लागौ, करौ निहोर।।
तरिवन, तिलक, बनी नक बेसरि, चख काजर सुरँग तमोर।
सबै सिंगार बन्यौ जोबन पर, लै मिलि मदनगुपाल अँकोर।।
लताभवन मै सेज बिछाई, बोलत सकल बिहंगम मोर।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस कौ ज्यौ दामिनि घन चंद चकोर।।2764।।