तुम जागौ मेरे लाड़िले, गोकुल-सुखदाई।
कहति जननि आनँद सौं, उठौ कुँवर कन्हाई।
तुमकौं माखन-दूध-दधि, मिस्री हौं ल्याई।
उठि कै भोजन कीजिऐ, पकवान मिठाई।
सखा द्वार परभात सौं, सब टेर लगाई।
बन कौं चलिऐ साँवरे, दियौ तरनि दिखाई।
सुनत बचन अति मोद सौं, जागे जदुराई।
भोजन करि बन कौं चले, सूरज बलि जाई।।209।।