जौ तू राम-नाम-धन धरतौ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग सारंग



जौ तू राम-नाम-धन धरतौ।
अबकौ जन्‍म, आगिलौ तेरौ, दोऊ जन्‍म सुधरतौ।
जम कौ त्रास सबै मिटिं जातौ, भक्त नाम तेरौ परतौ।
तंदुल-घिरत समर्पि स्‍याम कौ, संत-परोसौ करतौ।
होतौ नफा साधु की संगति, मूल गाँठि नहिं टरतौ।
सूरदास बैकुंठ-पैठ मैं, कोउ न फैंट पकरतौ।।297।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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