जोरति छाक प्रेम सौं मैया।
ग्वालनि बोलि लियौ अधजेंवत, उठि दौरे दोउ भैया।
तबहीं तैं मैं भोजन कीन्हौ, चाहति दियौ पठाइ।
भूखे भये आजु दोउ भैया, आपुहि बोलि मँगाइ।
सद माखन साजौ दधि मीठौ, मधु मेवा पकवान।
सूर स्याम कौं छाक पठावति, कहति ग्वारि सौं जान।।456।।