जी कोउ कहै बात सुनाइ -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग सारंग




जी कोउ कहै बात सुनाइ।
तिही छिन ब्रजराज गोकुल, पियहिं पानी आइ।।
सग तो अक्रूर ऊधौ, गए जोग बनाइ।
निरखि बिरह बियोग सब ब्रज, कही तब समुझाइ।।
स्रवन है नहीं समुझ आगै, थके सब गुन नाइ।
‘सूर’ जिहिं कुल रीति जैसी, सोइ सहज सुभाइ।। 148 ।।

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