गुरुजन मैं डटि बैठी स्यामा -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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राग आसावरी




गुरुजन मैं डटि बैठी स्यामा स्याम मनावन जाहीं।
सनमुख ह्वै कै चरन छुवाई मोर-मुकुट-परछाही।।
तब दरपन लै निरखन लागी कहि तिय नाही नाही।
'सूरदास' मोहन पाछै ह्वै छवि निरखत सुख माही।। 58 ।।

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