कुल की कानि कहाँ लगि करिहौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


कुल की कानि कहाँ लगि करिहौ।
तुम आगै मैं कहौ जु साँची, अब काहू नहिं डरिहौ।।
लोग कुटुंब जग के जे कहियत, पेला सबहिं निदरिहौ।
अब यह दुख सहि जात न मोपै, बिमुख बचन सुनि मरिहौ।।
आपु सुखी तौ सब नीके हैं, उनके सुख कह सरिहौ।
'सूरदास' प्रभु चतुर सिरोमनि, अबकै हौ कछु लरिहौ।।1943।।

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