कान्ह तिहारी सौ आऊँगी।
खरिक बछरुवा सौपि सँझौखै स्याम समय जौ पाऊँगी।।
जुरी भवन मैं भीर न ह्वै है तौ यौ तुम्है बुलाऊँगी।
बालक पारि पालनै कै मिस ऊँचे स्वर लै गाऊँगी।।
होत घैर घर दूर कुबेरिया ऊतरु कहा बताऊँगी।
'सूरदास' प्रभु तुमसौ छल करि कबलौ आपु छुड़ाऊँगी।। 31 ।।