कहा री कहति तू मातु मोसौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गौड़ मलार


कहा री कहति तू मातु मोसौं।
ऐसी बहि गई को, स्याम-संग फिरै जो, बृथा रिस करति कह कहौं तोसौं!।।
कही कौनैं बात, बोलि धौं तिहिं मात, मेरे आगैं कहै, ताहि देखौं।
तात रिस करत, भ्राता कहै मारिहौं, भीति बिनु चित्र तुम करति रेखौ।।
तुमहुँ रिस करति, कछु कहा मोहिं मारिहौ, धन्य पितु भ्रात अरु मातु तुमहीं।
ऐसौ लायक नंद महर कौ सुत भयौ, तिनहिं मोहिं कहति प्रभु सूर सुनहीं।।1707।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः