कहा भई तू आजु अयानी।
अतिहीं चतुर प्रवीन राधिका, सखियनि मैं तू बड़ी सयानी।।
कहि धौ बात हृदय की मोसौ, एसी तू काहै बिततानी।
मुख मलीन, तनु की गति ओरै, बूझति बार बार सो बानी।।
कहा दुराव करौ री तो सौ, मै तौ हरि कै हाथ बिकानी।
'सूर' स्याम मोकौ परित्यागी, जा कारन मैं भई दिवानी।।2083।।