अब मै तोसो कहा दुराऊँ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग जैतश्री


अब मै तोसो कहा दुराऊँ।
अपनी कथा, स्याम की करना, तो आगै कहि प्रगट सुनाऊँ।।
मै बैठी ही भवन आपनै, आपुन द्वार दियौ दरसाऊँ।
जानि लई मेरे जिय की उन, गर्व प्रहारन उनकौ नाऊँ।।
तबही तै व्याकुल भई डोलति, चित न रहै कितनौ समुझाऊँ।
सुनहु 'सूर' गृह बन भयौ मोकौ, अब कैसै हरि दरसन पाऊँ।।2084।।

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