कहा कहति तू भई बावरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग आसावरी


कहा कहति तू भई बावरी।
तू हँसि कहति सुनै, कोउ ओरै, कह कीन्हौ चाहति उपाव री।।
सो तौ साँच मानि यह लैहै, हमहिं तुमहिं बातैं सुभाव री।
मेरी प्रकृति भलैं करि जानति, मैं तोसौं करिहौं दुराव री?।।
ऐसी कैसैं होइ सखी री, घर पुनि मेरो है बचाव री?।
सूर कहति राधा सखि आगैं, चकित भई सुनि कथा रावरी।।1698।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः